अधिक सोचने से आप हो सकती हैं बीमार No Further a Mystery



 क्या आपको लाइने छोड़क-छोड़कर पढ़ने की आदत है? क्या आप चिंता और रातभर जागने जैसी परेशानियां महसूस होती हैं? क्या आपको कम से कम एक बार ‘बहुत ज़्यादा सोचने वाला’ होने का आरोप लगाया गया है? अगर यह सारी बातें आपसे जुड़ी हुई हैं, तो यह साफ हो गया है कि आप बहुत ज़्यादा सोचनेवाले लोगों में से हैं। ऐसे लोग न चाहते हुए भी हर छोटी-बड़ी चीज़ के बारे में बहुत कुछ सोचते हैं और उसका विश्लेषण भी करते हैं। दरअसल इनके लिए, शांत रहना या एक समय में एक बात के बारे में सोचना असंभव है। लेकिन याद रखें, लगातार सोचते रहना और चिंता सिर्फ आपके मानसिक शांति को बिगाड़ने का काम करेगी। जब आपका मन लगातार परेशान होता है, तो आपके शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन की बढ़ोतरी होती रहती है, जो आपकी सेहत को बहुत ज़्यादा प्रभावित करता है। आप खुद ही पढ़ें और समझें कि किस तरह बहुत ज़्यादा सोचने से आपकी सेहत को नुकसान होता है।

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अपने फैसलों और एक्शन्स के बारे में सोचना और उन पर ध्यान देना एक अच्छी आदत है। इससे आप सही फैसले लेने में सक्षम होते हैं लेकिन एक ही चीज के बारे में पूरा समय सोचते रहना सही आदत नहीं। हम में हर कोई इस तरह की स्थिति में रहा है कि जब हम किसी एक या अधिक टॉपिक को लकेर उनके बारे मे ही सोचते रहते हैं, जबकि इससे हमें कोई प्रोडक्टिव परिणाम नहीं मिलने वाला है। यह ओवरथिंक करना कहलाता है और इसके बारे में आपको जागरुक होने की जरूरत है।

यहां तक कि आप जो कोई भी काम करते है उसमें अपना पूरा योगदान नहीं दे पाते. असली समस्या तब शुरू होती है जब यह दैनिक कामकाज को प्रभावित करना शुरू कर देती है.

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बीमारियों और अस्पताल का more info ज़िक्र आते ही दिमाग में जो पहली तस्वीर आती है, वो अक्सर खांसते-छींकते बुखार या फिर अस्पताल के बिस्तर पर पड़े मरीज़ की होती है.

हो सकता है कि अपने जीवन के किसी मोड़ पर असफलता के बारे में कुछ अतार्किक विश्वास विकसित कर ली हों। आपको यह लग सकता है कि असफलता का मतलब है कि आप कभी सफल नहीं हो पायेंगी। यह भी लग सकता है कि असफल होने पर आपको कोई भी पसंद नहीं करेगा। इस प्रकार के विश्वास गलत हैं। ये आपको उन चीजों को करने से रोक सकते हैं, जिनसे आप सफल हो सकती हैं। इस तरह के तर्कहीन विश्वासों की पहचान कर उन्हें खत्म करने की कोशिश करें। इससे खुद पर विश्वास कर सकेंगी।

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ज्यादा सोचने से दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है, क्योंकि कोर्टिसोल हार्मोन दिमाग की कनेक्टिविटी में बदलाव का कारण बन सकता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थी बर्कले के मुताबिक, ज्यादा सोचना या दिमाग लगाना तनाव, चिंता और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बनता है, जिसका असर आपके पाचन तंत्र पर भी पड़ सकता है। इससे पेट में जलन, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, गैस्ट्रिक सीक्रेशन में परिवर्तन, आंतों का सही से काम न करना आदि समस्याएं होती हैं। विज्ञापन

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